મંગળવાર, 22 માર્ચ, 2022

Story Telling

कहानी शुरू कहां से होती है ? कोइ जिग्याशा से । कोइ प्रश्न से या कोइ शब्द के बहाव से । और वो कहानी तब तक चलती है जब तक जब एक लगाव बना रहता है । कहानी मे कुछ एमोशंल बोंन्दिंग बना रहता है तब मजा आता है । वही तो कहानी की जान कही जाती है । कहानी वो होती है जो शब्द हमे खुद कही ले जाये या वो पात्र मे हम कही अपने को ही महेसुस करे ।

कहानी मे तब हि मजा आता है जब उसे कहेना वाला  उसके रचियिता के जुते मे पैर रखने मे काबील होते है । और जब ये होता है तब समजो वो सामने वाले को कही ना कही कीसी ना कीसी रूप मे मजबूर कर रहा है ये पक्का होता है ।

 अगर कुछ गहरे लफ्जो मे कहे तो कहा जा शकता है कि कहानी वो बोली हुइ दास्तान है जो हर पिछ्ली पीढी नइ पीढी को कुछ ना कुछ बया कर के बताती जाती है । कुछ शिखाती जाती है ।

जब कोइ छोटे बच्चे कोइ चांद दिखाते है और दो लब्ज जब हम उस चांद के बारे में बोलते है वहां शुरु होती है कहाँनी । और वो जो बोलने वाला होता है उसके शब्दो की ताकत वो कहानी की सीमा तय करती है ।

 

कहानी छोटी भी होती है और कहानी बडी भी होती है । कहाँनी मै एक बहाव होता है ।  और जब उस बहाव मे उस कहनी मै एक एक करके कइ पात्र केरेक्टॅर आने लगते है तब वो नोवेल बन जाती है । नोवल और कहानी मे बस इतना ही फासला रह जाता है । हम हैरी पोटर को कहानी भी कह शकते है और नोवल भी कह शकते है । वैसे तो जब हैरी पोटर की कहानी लिखी गइ तो जे के रोवलिंग को यही कहा जा रहा था कि बच्चो की किताबे इतनी नही बिकती । उसमे कुछ मुनाफा नही हो पाता । अरे उनको पुरा नाम जोआन रोवलिंग लिखने से भी रोका गया और जे के रोवलिंग रखने को कहा गया था । लेकिन उस किताबने सारे रेकोर्ड तोड दिये । बीकी खुब बीकी सिर्फ बच्चो ने ही नही बडो ने भी पढी और उनके फेन बन गये ।

कहानी शुरु कहां पे होती है ?

कहानी कहीं पे शुरु होती है वो बेड टाइम स्टोरी से या सायद वो कही वो स्कुल के क्लास से या सायद वो कही कीसी पुछे गये प्रशन के जवाब मे । वो सायद कीसी किताब के पहेले पन्ने से भी शुरु हो शकती है । सायद वो कहिं त्रुथ और डेर की गेम में त्रुथ बनके सामने आ सकती है । सायद वो कहीं दु:ख के मंजरो सै निकाल शकती है तो कही वो दुसरो की आवाज बन कर भी आ शकती है ।

 

एसा कहा जाता है कि एक रिसर्च के मुताबीत दो लोगो के बीच मे जो बाते चलती है उसमे कही ना कही 65 % बातो मे कहानी ही होती है ।

अगर हम गुजराती की बात करे तो धुमकेतु है । आजभी कहीं ना कहीं वो अली डोशा जिंदा मिल जाता है । कहीं हमारे दिमाग से वो काबुली वाला आ उठता है । गुजराती मे कइ लेखको ने अपने बातो मे कहानीया लैखि है जैसे आप गुणवंत शाह को, चंद्र्कांत बक्सी को ले शकते है । अरे आइ के विझळी वाळा उनकी कहानीया बच्चो मे सबसे फेवरीट है । अभी कुछ दो तीन साल पहेले हि उना के शिक्सक आनंद ठाकर की भी पेनड्राइव नामक अच्ची किताब आइ थी । कइ रियल बातो को शरद ठाकर बहोत बढिया तरीके से हमारे सामने पेस कर देते है । तो हमारे बरोडा के हि जवाहर परिख जी ने एक मेक नामक जो सामयिक चलाया था उसमे वो हर वकत एक मजे की बात लेके आते थे । कभी कुछ कविता भी एक कहानी बया कर जाती है उसे नेरेटीव पोयम्स कहा झाता है ।  

 

कहाँनी होती है कभी सच्ची तो कभी पुरी काल्पनीक । कही वो रूठे को मनाती है तो कही वो उन्ही रुठी हुइ बातो से पेदा होती है । कही वो सेंस ओफ ह्युमर से भरी होती है तो कही वो बीना सेंस की होने के बाबजुत मजा दे जाती है । कही वो श्रद्धा से भरी होती है तो कही वो जीत का निश्चय लीये खडे वीर के भांती होती है । कहीं वो सरहद की कहानी के रूप में होती है तो कहीं वो अपने ही कमरे से शुरु हो जाती है । कहीं पारदर्शीता होती है तो कहीं नजाकत से भरी होती है । कही वो मन को झकझोर कर जाती है तो कही वो हमारी आंखो को आंसुओ से भर देती है । कही वो सीधी दिल को छू जाती है तो कही वो हमारे रोमटे खडे कर देती है । कही पे ज्ञान की कही पे शिक्सा की तो कही पे शाणपण की बातो के रूप मे कहानी हमारे सामने होती है। कहानी कही पे सच्ची होती है । कही पे पुरे जुठ से भरी होती है । कही वो सायद सायंस फिक्स्न भी हो शकती हे या फिर वो सायद एक कोइ दंत कथा भी हो शकती है सायद वो कही एक कीसी की बायोग्राफी भी हो शकती है । आज की कहाँनी का लेटेस्ट रूप कोन सा है एक ही जवाब है सायद वो डोक्युमेट्न्ट्री है या वो कोइ सोर्ट फिल्म है । हर एक फिल्म एक कहानी है ।

 

हमारे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम हो या आज की जनरेशन के आदर्श ज्ञान वत्सल स्वामी हो या कोइ भी स्कूल का एक टीचर तब ही बच्चे को अच्छा लग पाया है जब उनकी बातो मे कहानी आइ है । कही पे युध्ध की कहाँनी बन रही होती है तो कही पे प्रेम की । हर एक पिकचर अपने आप मे एक कहानी है । अपने आप मे एक जिंदा तस्वीर है । किसी फिल्म मेकर ने बहुत ही सच कहा था की हर एक सख्स की अपनी निजी जिंदगी एक पिकचर है । उसमे कहीं न कहीं एक संघर्ष या एक रोमांच की घडी है जीसे हम पडदो पे ढाल शकते है । एक स्टोरी कहीं एक मोटीवेशन बन जाती है हजारो – लाखो लोगो के लिये एक इंस्पिरेशन बन जाती है ।  जो दिखाइ देता है की मुवी एनेमी एट ध गेट मे ।

 

युवा नोआ हरारी ने कहा है की यह दुनिया जिसमे हम सब जी रहे है वह एक स्टोरी से ज्यादा कुछ भी नही है ।

रामायण और महाभारत के रूप मे एक बडी कहानी है तो उनमे से अनेक छोटी छोटी कहानीया है । उपनिषद रुपी ग्यान की गंगा बहाने वाली अनेक कहानीया है । जाताक कथाए है । हमारे पास कहाँनी सुफी की है । ताओ की है । झेन परंपरा कि कहाँनीया है ।  अरेबियन नाइट के रूप मे है । टारजन और लिलिपुट क़े रूपअ मे है ।  टाइम ट्रावेल की अनगिनत कहानिया है । जब भी हम कोइ ना कोइ फ्युचर की बात करते है तब हम कहीं ना कहीं कहानी से जुडे होते है ।  जो कहानीया बच्चो को जकड के रखती है ।

 

H G Wells, O Henry, Enid Blyton, Agatha Christie, Virginia Woolf, Mark Twain, William Faulkner, Jumpa Lahiri  …..